नैंसी पेलोसी के पहुंचते ही ताइवान में Level-2 अलर्ट, चीन में भी बज रहे सायरन
यूएस स्पीकर नैंसी पेलोसी के ताइवान पहुंचते ही माहौल गरमा गया है. आशंका है कि ताइवान और चीन के बीच में जंग हो सकती है, जिसका असर पूरी दुनिया पर होगा. फिलहाल ताइवान में चीन से निपटने के लिए युद्ध की तैयारियां जारी हैं.

यूएस स्पीकर नैंसी पेलोसी के ताइवान पहुंचते ही दुनिया की सांसें तेज हो गईं हैं. ऐसा लग रहा है कि एक और युद्ध का काउंटडाउन शुरू हो गया है. नैंसी पेलोसी के इस दौरे से चीन बौखला गया है. वह धमकियां दे रहा है कि अब अमेरिका और ताइवान की स्वतंत्रता की मांग करने वाली 'अलगाववादी ताकतों' को कीमत चुकानी होगी. ऐसे में दुनिया के सामने एक और जंग का खतरा मंडरा रहा है.
इसी साल फरवरी में दुनिया ने यूक्रेन-रूस युद्ध देखा. एक ऐसा युद्ध जो अबतक खत्म नहीं हुआ है. इस युद्ध में यूक्रेन पूरी तरह बर्बाद हो गया है, वहीं रूस ने भी काफी कुछ खोया है. रूस-यूक्रेन युद्ध के लिए भी अमेरिका को जिम्मेदार माना जाता रहा है.
क्या एक और जंग देखेगी दुनिया?
चीन ने धमकियों के साथ-साथ एक्शन भी शुरू कर दिया है. चीन में अलर्ट वाले सायरन बज रहे हैं. इसी के साथ चीन ने फैसला कर लिया है कि वह 4 अगस्त से ताइवान के पास युद्ध अभ्यास करेगा. चीनी सेना ने कहा है कि वह गुरुवार से रविवार तक ताइवान के आसपास के छह क्षेत्रों में जरूरी मिलिट्री ड्रिल करेगा. इसमें लाइव फायर ड्रिल भी शामिल होंगी.
दूसरी तरफ ताइवान में भी Level-2 का अलर्ट जारी किया गया है. यह अलर्ट युद्ध के लिए तैयार करने को जारी हुआ है. ऐसा अलर्ट ताइवान में 1996 के बाद पहली बार जारी किया गया है.
चीन और ताइवान की जंग किस बात पर है?
ताइवान और चीन के बीच जंग काफी पुरानी है. 1949 में कम्यूनिस्ट पार्टी ने सिविल वार जीती थी. तब से दोनों हिस्से अपने आप को एक देश तो मानते हैं लेकिन इसपर विवाद है कि राष्ट्रीय नेतृत्व कौन सी सरकार करेगी. चीन ताइवान को अपना प्रांत मानता है, जबकि ताइवान खुद को आजाद देश मानता है. दोनों के बीच अनबन की शुरुआत दूसरे विश्व युद्ध के बाद से हुई. उस समय चीन के मेनलैंड में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी और कुओमितांग के बीच जंग चल रही थी.
1940 में माओ त्से तुंग के नेतृत्व में कम्युनिस्टों ने कुओमितांग पार्टी को हरा दिया. हार के बाद कुओमितांग के लोग ताइवान आ गए. उसी साल चीन का नाम 'पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना' और ताइवान का 'रिपब्लिक ऑफ चाइना' पड़ा. चीन ताइवान को अपना प्रांत मानता है और उसका मानना है कि एक दिन ताइवान उसका हिस्सा बन जाएगा. वहीं, ताइवान खुद को आजाद देश बताता है. उसका अपना संविधान है और वहां चुनी हुई सरकार है.